मिल्खा सिंह हमारे बीच नहीं हैं 'फ़्लाइंग सिख'

 

मिल्खा सिंह हमारे बीच नहीं हैं | 'फ़्लाइंग सिख'



मिल्खा सिंह की  इच्छा और वह दो बातें, जो अंतिम सांस तक नहीं भूले थे 'फ़्लाइंग सिख' आज मिल्खा सिंह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें जरूर हैं, ऐसी यादें जो बहुत कुछ सिखाती हैं। मिल्खा सिंह ने अपनी आखिरी इच्छा का मिल्खा सिंह एक महीने से कोरोना संक्रमण से जूझ रहे थे

'फ्लाइंग सिख' के नाम से मशहूर  मिल्खा सिंह  का निधन हो गया है।

मिल्खा सिंह एक महीने से कोरोना संक्रमण से जूझ रहे थे शुक्रवार की रात 11.30 बजे चंडीगढ़ में उन्होंने  अपनी आखिरी सांस ली। थोड़े दिन पहले ही  रविवार को उनकी पत्नी निर्मल कौर का निधन हो हो गया हैं  जो पूर्व नेशनल वॉलीबॉल कप्तान थीं, उनका भी कोरोनावायरस के कारण ही निधन हुआ था। मिल्खा सिंह 91 साल के थे। मिल्खा सिंह के परिवार में उनके गोल्फर बेटे जीव मिल्खा सिंह और तीन बेटियां हैं।

मिल्खा सिंह जैसा दुनिया में  कोई खिलाड़ी नहीं 

मिल्खा सिंह ने कहा, 'अगर दो लब्ज़  कहूं तो आप लोगों को ऐतराज तो नहीं होगा। बात यह है कि यह जो इन्होंने  राकेश ओमप्रकाश मेहरा जो  फिल्म बनाई थी , इस फिल्म से मिल्खा सिंह को इन्होंने दोबारा  जिंदा कर दिया है। क्योंकि पुराने  लोग तो जानते हैं कि मिल्खा सिंह कौन था और उन्होंने अपनी जिंदगी क्या किया था और उनको 'फ्लाइंग सिख' के नाम से वो क्यों  मशहूर  थे   जो आने वाली जनरेशन है, उन्हें मालूम नहीं है कि मिल्खा सिंह कौन थे आज अभी गौरव जी ने बताया कि मिल्खा सिंह ने दुनिया भर में 80 इंटरनैशनल दौड़ें दौड़ीं और 80 में से 77 दौड़ में जीत हासिल की। यह सही बात है और आज भी दुनियाभर में ऐसा कोई दूसरा एथलेटिक नहीं हुआ है,जिसने इतनी इंटरनैशनल रेस जीती थी 


वह दो बातें जो अंतिम सांस तक नहीं भूले मिल्खा सिंह

'मैं 2 वो चीजें जिंदगी में कभी नहीं भूल सकता। पहली बात, जो रोम ऑलम्पिक के अंदर हिंदुस्तान के लिए जो मेडल जितना  था वह मेरे हाथ से निकल गया, वह मेडल  मैं आपने देश को नहीं  दे पाया था  और हमेशा मरते दम तक, जब तक मेरी आंखें नहीं बंद हो जातीं, जबतक मैं दुनिया छोड़कर नहीं जाता, तब तक आंखे खुली रहेंगी और मैं चाहूंगा कि 100 से 150 करोड़ की आबादी से कोई न कोई ऐसा नौजवान उठना चाहिए, जो मेरे हाथ से रोम ऑलम्पिक मेडल  जाकर ले कर आये और भारत का तिरंगा झंडा वहां पर जाकर लहराए।'ये मेरी दिल की तमन्न हैं 

मिल्खा सिंह के निधन से पूरा देश गम में डूबा हुआ है। हमने एक महान खिलड़ी को खो दिया हैं 


मिल्खा सिंह की आखिरी इच्छा


'जब से भारत आज़ाद हुआ है, तब से आज तक सिर्फ 5 खिलाड़ी फाइनल तक तो पहुंचे हैं, लेकिन मेडल नहीं ला पाए हैं। मैं मिल्खा सिंह पहले नंबर पर था, गुरुवचन सिंह रंधावा 1964 में दूसरे नंबर पर थे, उसके बाद तीसरे नंबर पर श्रीराम सिंह आए, पीटी उषा चौथे नंबर पर थीं और पांचवे नंबर पर मंजू जॉर्ज थीं। यह 5 खिलाड़ी फाइनल राउंड तक पहुंचे थे, लेकिन मेडल नहीं ला पाए। मैं उम्मीद करता हूं कि मेरी फरहान अख्तर, सोनम कपूर स्टारर बॉयोपिक भाग मिल्खा भाग, जिसे राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने डायरेक्ट किया है, इससे नई जनरेशन इंस्पायर होगी और मेरे हार्ड वर्क को जानेगी। रोम ऑलम्पिक में मुझसे गलती हुई और मेडल हाथ से फिसल गया, यह मेरा नहीं इंडिया का बैड लक था। दुनिया को यह उम्मीद थी कि रोम ऑलम्पिक में 400 मीटर की दौड़ मैं जीत सकता हूं, लेकिन जीत नहीं पाया।'

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